राधा स्वामी जी
एक कबूतर कबूतरनी का जोड़ा आकाश में विचरण कर रहा था।तभी उनके ऊपर एक बाज उनको खाने के लिए उनके ऊपर उड़ने लगा।तब वह दोनों जेसे-तेसे भागने लगे तब जमीन पर एक शिकारी भी उनको मारने के लिए आ गया।उस समय कबूतर भगवत नाम का स्मरण कर रहा था और उसे कोई भय नही था,पर उसकी पत्नी को डर लग रहा था।
वह सोच रही थी की की मेरा पति तो गुरु का जप कर रहा है इसे कोई डर नही है और हमारी दोनों ओर से मृत्यु निश्चित है।या तो हमें बाज मार डालेगा या वो नीचे शिकारी है वो मार देगा, अब हमारा क्या होगा हम तो मरने वाले हैं।तभी परमात्मा की कृपा से वहाँ जमीन पर एक सांप आ जाता है और वह सांप वहां खड़े शिकारी को डस लेता है।उसने जो तीर अपने धनुष पर लगा रखा था वो हाथ से छूट कर उस बाज के लग जाता है।उनके पास दोनों तरफ से आई हुई मृत्यु टल जाती है।इस पद से शिक्षा मिली कि चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों ना आ जाए परमात्मा का स्मरण नही छोड़ना चाहिए,वे हमें सारी विपत्तियों ये निकाल लेते हैं।बस उनका ही आसरा होना चाहिए।
Be Positve…
गुरू प्यारी साध संगत जी और सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी…
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Thank You Radha Soami ji. Good stories and inspirational satsangs. Veresham Bejugam